दुहराता इतिहास सदा ही अपनी बात पुरानी, दुहराता इतिहास सदा ही अपनी बात पुरानी,
खुशियाँ के गीत गुनगुनाएं । सबको गले मिलकर विजय का पर्व मनाएँ । खुशियाँ के गीत गुनगुनाएं । सबको गले मिलकर विजय का पर्व मनाएँ ।
करता रहा गर यूं मनमानी, अस्तित्व होगा फिर संकट में, स्वार्थ और अहम में आकर, करता रहा गर यूं मनमानी, अस्तित्व होगा फिर संकट में, स्वार्थ और अहम में आकर...
जो त्योहारों पर भी जाने नहीं देते, ऐसे देश के गद्दारों को। जो त्योहारों पर भी जाने नहीं देते, ऐसे देश के गद्दारों को।
अकेली मैं अकेले तुम दोनों साथ हो तो प्यार का मौसम आ जाएगा। अकेली मैं अकेले तुम दोनों साथ हो तो प्यार का मौसम आ जाएगा।
नेक इंसान बनकर हम राष्ट्र की अस्मिता बढ़ाए। नेक इंसान बनकर हम राष्ट्र की अस्मिता बढ़ाए।